भारतीय गौरवगान के प्रतिनिधि कवि श्री अटल बिहारी वाजपेयी
भारतीय गौरवगान के प्रतिनिधि कवि श्री अटल बिहारी वाजपेयी श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन छलकता हुआ अमृत कुंभ है। हर व्यक्ति अपनी पात्रता के अनुसार कुछ न कुछ ग्रहण कर जीवन को सार्थक बना सकता है। अटल जी के व्यक्तित्व के विराट विस्तार की शीतल छांव जीवन की टूटती आस्थाओं में प्राणों का संचार करती है। एक राजनेता के रूप में बहुधा लोग उन्हें अधिक जानते हैं किंतु एक कवि रूप में वह कम ही अभिव्यक्त हैं। उनकी काव्यात्मक अभियोग्यताओं का उचित मूल्यांकन न हो पाने के कारण हिंदी साहित्य में वह अपने पूरे वैभव के साथ प्रकट न हो सके। यह साहित्य के साथ जानबूझ कर किया गया अपराध है। बहरहाल, उनकी कविताओं में भारत की मूलभूत समस्याओं का समाधान झांकता है, प्राचीन गौरव झलकता है। भारतीयता का पुट दिखता है। वास्तव में अटल जी उदीयमान भारतीयता के गायक है, राष्ट्रीयता के नायक हैं, संस्कृति के वाहक कवि हैं जिनकी रचनाओं में सांस्कृतिक जागरण की ध्वनि विद्यमान है। अटल जी की रचनाओं में राष्ट्र की आत्मा है, सभ्यता का गौरव है। अटल जी ने अपनी कविताओं में मूलतः राष्ट्र का ही विजय गान गाया है। संस्कृति की अर्चना में ह