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भारतीय गौरवगान के प्रतिनिधि कवि श्री अटल बिहारी वाजपेयी

भारतीय गौरवगान के प्रतिनिधि कवि श्री अटल बिहारी वाजपेयी  श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन छलकता हुआ अमृत कुंभ है। हर व्यक्ति अपनी पात्रता के अनुसार कुछ न कुछ ग्रहण कर जीवन को सार्थक बना सकता है। अटल जी के व्यक्तित्व के विराट विस्तार की शीतल छांव जीवन की टूटती आस्थाओं में प्राणों का संचार करती है।  एक राजनेता के रूप में बहुधा लोग उन्हें अधिक जानते हैं किंतु एक कवि रूप में वह कम ही अभिव्यक्त हैं। उनकी काव्यात्मक अभियोग्यताओं का उचित मूल्यांकन न हो पाने के कारण हिंदी साहित्य में वह अपने पूरे वैभव के साथ प्रकट न हो सके। यह साहित्य के साथ जानबूझ कर किया गया अपराध है।   बहरहाल, उनकी कविताओं में भारत की मूलभूत समस्याओं का समाधान झांकता है, प्राचीन गौरव झलकता है। भारतीयता का पुट दिखता है। वास्तव में अटल जी उदीयमान भारतीयता के गायक है, राष्ट्रीयता के नायक हैं, संस्कृति के वाहक कवि हैं जिनकी रचनाओं में सांस्कृतिक जागरण की ध्वनि विद्यमान है।  अटल जी की रचनाओं में राष्ट्र की आत्मा है, सभ्यता का गौरव है। अटल जी ने अपनी कविताओं में मूलतः राष्ट्र का ही विजय गान गाया है। संस्कृति की अर्चना में ह

मानवता के लिए खतरनाक है पर्यावरण से खिलवाड़

मानवता के लिए खतरनाक है पर्यावरण से खिलवाड़   स्वच्छ प्रकृति का साथ पुरखों की तरह होता है। प्रकृति का सानिध्य हमेशा हमें अपनापन देता है, संरक्षण देता है। एकमात्र यही वह जगह है जहाँ हमारी भौतिक उपलब्धियों का ब्यौरा नही लिया जाता। हमारी असफलताओं का हिसाब नही माँगा जाता है। भारतीय सनातन संस्कृति में सदियों से प्रकृति के समस्त उपादान श्रद्धा के केंद्र रहे हैं। प्रकृति हमारे दैनिक-सामाजिक जीवन को सुचारू, सरल और सहज बनाएँ रखती है, साथ ही स्वस्थमय, रचनात्मकता से भरपूर्ण परिवेश उपलब्ध कराती है जिसके सानिध्य में हम जीवन के नित नए प्रतिमान गढ़ते हैं।  किंतु आज का स्वार्थी मानव लगातार माँ स्वरूपी इस प्रकृति के सुंदर रूप से छेड़छाड़ कर रहा है। अपने निजी लाभ के लिए संसाधनों का निरंतर दोहन कर पर्यावरण असंतुलन की समस्या को जन्म दे दिया है। जिसकी परिणीति आज आपदाओं के रूप में हमारे सामने दृष्टिगोचर होती है। अभी हाल ही में उत्तराखंड के चमोली जिले में गैलिशियर पिघलने की घटना भी एक मानव जनित आपदा है। यहां यह समझना जरूरी है कि यह पूरी तरह प्राकृतिक आपदा नहीं है। हर बार एक रुकावट यानी बांध को तोड़ते हुए जब नदी

चलिए थोड़ा मुस्कुराते है

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उपचुनाव: दांव पर सिंधिया की साख

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loading...  उपचुनाव: दांव पर सिंधिया की साख Pic credit- Google मध्यप्रदेश की राजनीति के केंद्र में इन दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया छाए हुए हैं क्योंकि, ये उनके राजनीतिक जीवन का सबसे प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव है। उनके 19 विश्वस्त साथियों के बहाने उनकी साख दांव पर लगी है। 28 विधानसभा सीटों पर मध्यप्रदेश में हो रहे उपचुनाव दो बड़ी पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच की महज सियासी जंग नहीं है। ये उपचुनाव सीधे-सीधे ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के फैसले को सही और गलत ठहराने का इम्तिहान है। इसे उनकी राजनीति की अग्निपरीक्षा भी माना जा सकता! यदि वे इस परीक्षा में सफल होते हैं, तो उनके लिए भाजपा के नए दरवाजे खुल जाएंगे। पर, यदि ऐसा नहीं होता है, तो उपचुनाव की हार का सारा खामियाजा सिंधिया पर थोपा जाना तय है। ऐसे में उनके साथी भी उनसे कन्नी काट सकते हैं। उपचुनाव की 28 में से 19 सीटें ऐसी हैं, जो सीधे सिंधिया-घराने के प्रभाव में है।  भाजपा ने भी इनका दारोमदार पूरी तरह से सिंधिया को सौंप दिया। इन सीटों पर भाजपा की जीत का श्रेय यदि सिंधिया के खाते

श्री कृष्ण: श्रीमद्भगवद गीता

loading... श्रीकृष्ण के उपदेशों को भूलते हम  श्रीकृष्णचन्द्र को पूर्णावतार कहा गया है जिनमें सभी कलाओं का पूर्णरूपेण विकास हुआ है। यदि बचपन में ही उन्होंने गोपियों के प्रति अलौकिक, असाधारण प्रेम का परिचय दिया है तो उसी अवस्था में दूसरी ओर कंस के भेजे हुए अनेकानेक असुरों का वध करके अलौकिक शक्ति और शौर्य का भी दृष्टान्त उपस्थित किया है। यदि गीता का ज्ञान रण-स्थल में उन्होंने अर्जुन को दिया है तो समय-समय पर अपनी चातुरी और सांसारिक बुद्धिमत्ता से पाण्डवों को अर्थ-संकट और धर्म-संकट से भी बचाया। यदि वह अनेक रानियों और पटरानियों के पति हुए हैं तो साथ ही स्थिरप्रज्ञ योगी भी रहे हैं। श्रीकृष्ण शास्त्र-शस्त्रविद् हैं, कला-कोविद हैं, राजनीति-विशारद हैं, योगी हैं, दार्शनिक हैं। सभी एक साथ हैं और सबमें महान् हैं। जब हम श्री कृष्ण के समग्र जीवन को देखते हैं तो मुख्यतः हमें उनके तीन रूप दिखाये देते हैं 1) धर्म संस्थापक कर्मयोगी कृष्ण 2) गोपी जनवल्लभ और राधाकृष्ण 3) बाल गोपाल ऐतिहासिक-आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से कृष्णचरित्र का प्रथम रूप सबसे अधिक महत्वपूर्ण और आत्मसात करने योग्य है। यह रूप

शिकागो व्याख्यान: हमारी सुशप्त स्मृतियों को झकझोरते स्वामी विवेकानंद

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  शिकागो व्याख्यान: हमारी सुशप्त स्मृतियों को झकझोरते स्वामी विवेकानंद स्वामी जी का व्याख्यान और आचरण पराधीन सुषुप्त धमनियों में रक्त संचार का स्त्रोत रहा। उन्होंने हमारी शिथिल हो चुकी मनोवृत्ति को झँकझोरा और विश्व को बताया कि हम किन महान अपादानों से बने हैं। कौन सा खून हमारी नसों में बह रहा है। विश्व मंच पर सभी धर्मों के प्रतिनिधित्वकर्ताओं की उपस्थिति में उन्होंने अपनी गौरवशाली अतीत को स्मरित करते हुए कहा कि हमने उस पावन पूण्य भूमि में जन्म लिया है जहाँ मनुष्य-प्रकृति तथा अंतर्जगत के रहस्योद्घाटन की जिज्ञासाओं के अंकुर उगे थे, हम उस सनातन की संतान हैं जहाँ आत्मा का अमरत्व, अंतर्यामी ईश्वर एवं जगतप्रपंच तथा मनुष्य के भीतर व्याप्त सर्वव्यापी परमात्मा विषयक का पहलेपहल उद्भव हुआ था। pic credit- Google    स्वामी जी हमारी संस्कृति के उद्घोषक पुरुष है। वह विश्व को याद दिलाते है कि भारत ही सभी धर्मों की जन्मस्थली है, यह वही भूमि है, वही देश है यहाँ से उमड़ती हुई बाढ़ की तरह धर्म और दार्शनिक तत्वों ने समग्र संसार को बार-बार पल्लवित किया और जो शताब्दियों के आघात एवं विदेशियों के शत शत आक्रमणों क

कोरोना वायरस से बचाव के उपाय

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कोरोना वायरस से बचाव के उपाय कोरोना वायरस (प्राण घातक) जो चीन में तेजी से फैलता जा रहा है, जिसका भारत में भी आने का खतरा है, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लोगों से इनमे से कुछ सावधानियाँ बरतने को कहा है । कोरोना वायरस से बचाव के लिए निम्न सावधानियां बरतें: 1 . पानी उबालकर पियें । 2 . मांसाहार खाना बंद कर दें । 3. आहार में विटामिन सी, जिंक और विटामिन बी कॉन्प्लेक्स देने वाले पदार्थों की मात्रा बढ़ा दें । 4 . व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें । 5 . तुलसी, अदरक, काली मिर्च, मिश्री और कुछ बूंदे नींबू की डालकर काढ़ा बनाकर पीए l 6 . गिलोय का सेवन सुबह खाली पेट करें । 7 . भोजन में सब्जियों का सूप भी लें । 8 . किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ (कोल्ड ड्रिंक्स) आइसक्रीम, कुल्फी आदि खाने से बचें । 9 .किसी भी प्रकार का बंद डिब्बा भोजन, पुराना बर्फ का गोला, सील बंद दूध तथा दूध से बनी हुई मिठाइयाँ जो कि 48 घंटे से पहले की बनी हो उसे नहीं खावे। इन सभी चीजों का इस्तेमाल  कम से कम 90 दिनों तक न करें। 10. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मु